महत्वाकांक्षा Ambition

महत्वाकांक्षा: 1 POWERFUL THOUGHT TO CHANGE THE LIFE

शरीर ,आत्मा और मन

महत्वाकांक्षा का क्या अर्थ है ?

महत्वाकांक्षा का क्या अर्थ है क्या हम जानते है ?जैसे हर चीज की सीमा या मर्यादा होती है . क्या महत्वाकांक्षा की कोई निश्चित सीमा या मर्यादा है ? क्या कभी इसका अंत हो सकता ह। संसार में जितने भी जीव – जंतु या निर्जीव वस्तू सभी का अंत एक दिन होना ,यह पहले से ही तय है। अंत में जाकर सभी को मिट्टी में ही मिलना है।


परन्तु महत्वाकांक्षा शब्द है जिसका ना कभी अंत हुआ है और ना होगा. क्योंकि महत्वाकांक्षा कोई वस्तू नहीं है जो नष्ट हो जाये , यह एक भावना है जो मनुष्य के भीतर जन्म से ही होती है। संसार में हर तरह के लोग रहते हैं , सबकी अपनी अलग सोच और अलग- अलग इच्छाएँ होती ह। जिसपर उनका कोई नियंत्रण नहीं।

वो चाहकर भी उसपर नियत्रण नहीं पात। यदि आपके सामने कोई पसंदीदा खाने की वस्तू रख दी जाये ,आपके मन पसंद कपडे दिख जाये या ऐसी बहोत सी चीजें जो आपको पसंद हों , आप कब तक अपने मन को नियंत्रित कर पाओगे ,आप कुछ समय तक अपने आप को रोक भी लोगे परन्तु जब तक आपको वो मिल ना जाये आपको संतुस्टि नहीं मिलेगी।

महत्वाकांक्षा


आप उसी के बारे में सोचोगे उसे पाने का प्रयत्न करोगे ,और जब आपको वो मिल जाता है अर्थात आपकी इच्छा पूरी हो जाती है। तब आपका मन शांत होता है ,यह मनुष्य की अंदर की ऐसी भावना है जैसे- जैसे मनुष्य बढ़ता है वैसे -वैसे उसकी इच्छाएं भी बढ़ती जाती है। मनुष्य की आयु के अनुसार उसकी इच्छा प्रबल होती जाती हैं।
यहाँ सिर्फ मनुष्य की ही बात नहीं हो रही है उन सभी जीव -जन्तुओ, पक्षियों , वनस्पति और वो सारे सजीवों की बात हो रही है जो जीवन निर्वाह के लिए किसी ना किसी पे निर्भर ह। क्या फसल उगाने के लिए सिर्फ सूर्य की किरणे काफी है नहीं , ना उसे भी पर्याप्त मात्रा में पानी की जरुरत है ,खाद की ,धुप की और अच्छे देखभाल की , नहीं तो फसले ख़राब हो जाती हैं।

जीव -जन्तुओ को भी खाना मिल रहा है , तब भी वो एक स्थान की इच्छा रखते हैं , जहा वो रह सके , सुकून पूर्वक अपनी जीवन बिता सकें , .मनुस्य की बात करें , तो कोई अध्यापक बनने की इच्छा रखता है ,तो कोई वकील , कोई पुलिस की नौकरी में भर्ती होना चाहता है ,तो कोई कलेक्टर.सभी की इच्छाएं पूरी हों , ऐसे तो हो नहीं सकता , कभी परिस्थिति की वजह से अपनी इच्छा को मारना पड़ता है ,तो कभी अपने आप को साबित करने का मौका नहीं मिल पता ।

उदाहरण जैसे १० छात्रों ने कलेक्टर की पढाई की है , और भर्ती सिर्फ १ छात्र की करनी है , तो वो क्या करेंगे वो तो उनमें , से उन ३/४ लोगो को मौका देंगे , जिनके प्रतिशत अच्छे होंगे फिर भले उन्हें आये या ना आए , क्योंकि वो तो पहले प्रतिशत के अनुसार ही चुनाव करेंगे तो बाकियों का क्या उनकी इच्छाएं तो अपूर्ण रह गयी न।

एक बालक की ईच्छा क्या सिर्फ खाने और खेलने तक ही सीमित हैं ,उसे अपने पसंद के खिलोने,कपडे , स्कूल बैग ,पानी की बोतल सब अपने पसंद की चाहिए होती हैं। बचपन में हमारी अलग महत्वाकांक्षा होती हैं।
ये तो रही बचपन की बात जब वो धीरे -धीरे बालक से युवा में प्रवेश करता है , तब उसकी पसंद ना पसंद बदल जाती है। परन्तु इच्छाएं ख़त्म नहीं होती , उसे मोबाइल , कंप्यूटर , लैपटॉप चाहिए होता है।
फिर इसी तरह समय के साथ ,वह प्रोढ़ अवस्था में प्रवेश करता है और अपनी परिस्थिति के अनुसार अपने जीवन व्यतीत करने के लिए जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है ,उसे पूर्ण करने की इच्छा रखता है ।

महत्वाकांक्षा हमारा पीछा कभी नहीं छोड़ती

फिर अंत में वृधावस्ता में अपने पौत्र -पौत्री का मुख देखने की इच्छा रखता है ,उनको प्यार करने की इच्छा रखता है। बदले में वो बस अपने शरीर को आराम देने स्वस्थ रखने और परिवार की तरफ से देखभाल ,सम्मान और प्यार की इच्छा रखता है ,जो की आज की इस दुनिया में बहुत कम ही देखने को मिलता हैं ।
ये सब पड़ाव पर करने के बाद भी मनुष्य की इच्छा ख़तम नहीं हो रही है , वो अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में मृत्यु शैया पे लेट के स्वर्ग की कामना करता है , मोक्ष की कामना करता है। हमारी महत्वाकांक्षा हमारा पीछा कभी नहीं छोड़ती।


अर्थात मनुष्य का जीवन समाप्त होने आ गया , लेकिन उसकी इच्छा जीवित है.बच्चे अपने माँ बाप से यह इच्छा रखते हैं , कि वो सारी ख्वाइशे पूरी करें , बदले में माँ – बाप चाहते हैं , कि बच्चे मन लगा के पढ़े , अपना भविष्य बनाएं ।
एक छात्र अपने गुरु से अच्छे शिक्षा की उम्मीद रखता है और एक गुरु अपने शिष्य से यह उम्मीद करता है कि वो अच्छे अंकों से पास हो .अब दोनों ही परिस्थिति में सबकी इच्छा जायज है , मान्य है ,परन्तु इन सब परिस्थिति में कोई न कोई इच्छा तो अधूरी रह जायेगा ।

अब यह जरुरी थोड़ी है कि हर बच्चा मन लगा के पढ़े ,सभी माँ बाप सारी इच्छाएं पूरी कर पाए या यह भी जरुरी नहीं है कि सभी अध्यापक अच्छा ही पढ़ाएं , या सभी को एक नजर से देखें। .हम जानते है सभी चीजें एक साथ होना मुमकिन नहीं है ,फिर भी इच्छा रखी है हमने ,क्योंकि उस पर किसी का जोर नहीं ।

महत्वाकांक्षा अपनी क्षमता के अनुसार होनी चाहिए


अभी मैं और आप सोचें कि मैं परी बन जाऊं , सूरज को छू पाऊं तो यह मुमकिन नहीं , आप स्वतंत्र है आप कुछ भी इच्छा रख सकते हैं।
कुछ भी बोल सकते है। हम अपनी इच्छाओं पर रोक नहीं लगा सकते , परन्तु उसका चयन करना हमारे हाथ में हैं , जो मुमकिन हो जो हमारे बस में हो उसका ही चयन करें ,.चादर जितनी बड़ी हो पैर उतने ही फ़ैलाने चाहिए।

महत्वाकांक्षा आगे बढ़ने कि प्रेरणा देती है

कोई व्यक्त्ति बेरोजगार है तो ईश्वर से काम मांगने की इच्छा रखता है.फिर वो काम छोटा हो या बड़ा हो , फिर पैसे कम मिले या ज्यादा , उसे बस काम चाहिए ताकि वह रुखा -सूखा खा के अपना गुजारा कर सके ।
जब काम मिल जाता है कुछ दिन तक तो वो करता है बाद में उसके मन में लालसा जगती है , इतने पैसे में कौन काम करेगा फिर वो जहाँ पैसे ज्यादा मिलता है। उस ओर वो अपने कदम बढ़ाता ह। फिर वो इतने में ही संतुस्ट नहीं होता फिर उसे एक अच्छी पदवी की तलाश होती है। फिर इसके लिए वो सही या गलत सभी रास्ते अपनाता है।

जब तक वो अपनी इच्छा पूरी नहीं कर लेता , वो अपनी जी जान लगा देता ह। फिर कहीं किसी मोड़ पे जाकर उसे सफलता मिलती है। तब वह अपना नाम बनाने में , अपना व्यवसाय बढ़ाने में लग जाता है। और इच्छाएं बढ़ती जाती हैं ,.यदि कोई अध्यापक है वो १० तक के छात्रों को पढ़ा रही है, तो उसमें यह इच्छा उत्पन्न होती है कि वो विश्वविद्यालय में पढ़ाये , फिर वह प्रधानाध्यापक बनने की इच्छा रखती हैं।

महत्वाकांक्षा का तो कोई अंत नहीं है


महत्वाकांक्षा का तो कोई अंत नहीं है आजकल तो यह नौबत आ गयी है कि ,लोग अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने लिए ,भाई- भाई एक दूसरे के दुश्मन बन गए हैं , दोस्तों में दूरियां आ गयी हैं और परिवार फिर समाज.इस तरह पूरी दुनिया एक दूसरे की दुश्मन बनती जा रही हैं ,और दूसरे की तरक्की को देख के लोगों के मन में द्वेष उत्पन्न हो रहा है, यह सही नहीं हैं ,इससे परिवार के साथ- साथ समाज और विश्व की तरक्की में रूकावट आती है, देश की उन्नति नहीं होती। हमारी महत्वाकांक्षा कभी ख़त्म नहीं होती।


देश की आर्थिक स्तिथि पर बुरा असर पड़ता है और इससे हमारा देश बाकी देश के मुकाबले पीछे रह जाता है। मनुष्य इच्छा रखे परन्तु एक दायरे में रह के अपनी परिस्थिति को समझ के ,लोगो का ख्याल रखते हुए और जो आपके लिए भी अनुकूल हो और जिसे आप पूर्ण कर सको ऐसे इच्छाओं – महत्वाकांक्षाओं का चयन करो जिससे आपको कोई परेशानी ना हो , ना आपके परिवार और नहीं समाज को।
सभी का हित हो ।

अपनी इच्छाओं को पूर्ण करने के लिए सही- गलत का फर्क मत भूलो । कोनसा कार्य सही है और कौन सा गलत सोच विचार करके चुनाव करो। और आगे बढ़ो , खुद भी बढ़ो अपने साथ परिवार और देश को भी बढ़ाओ ।

महत्वाकांक्षा का होना , बहुत जरुरी है

जीवन में आगे बढ़ने के लिए , महत्वाकांक्षा का होना , बहुत जरुरी है।

अपने साथ अपने देश का भी नाम रोशन करो। इच्छा के भी कई प्रकार होते हैं ,किसी के बारे में जानना,जानकारी लेना ,अपने विचार प्रस्तुत करना,किसी विषय के बारे में गहन अध्ययन करना , ये सब इच्छाएं हैं , कोई इतिहास के बारे में जानने के इच्छा रखता है ,तो कोई अभिनेत्री -अभिनेता या कोई चुनावी नेता के बारे में जानने की इच्छा रखता ह।
कोई जीवन जीने की इच्छा रखता है तो कोई मृत्यु की । पुस्तकें तो सभी के पास होती है , फिर कोई विद्यार्थी कमजोर और कोई ज्ञानी क्यों होता है ?
जिसकी जितनी समझने और जानने की इच्छा थी, उसने उतना ही ज्ञान प्राप्त किआ। जो विद्यार्थी जितना ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा रखता है वह उतना ही ज्ञानी होता है। उस विषय पर आपको अपनी इच्छा को और बढ़ाओ इससे आपको लाभ ही होगा .इससे आप सफल होंगें अर्थात क्षेत्र के हिसाब से लोगो को अपने इच्छाओ को बढाने और काम करने की जरुरत ह। इससे हम एक खुशहाल जीवन जी सकते है

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