गजाधर बाबू- 1 Emotional Story
गजाधर बाबू एक ऐसा नाम जिन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया अपने दोनों बेटो राम और लखन को अपने पैरों पर खड़ा किया इस काबिल बनाया की समाज में गर्व से सर उठा के चल सके ! अपने एकलौती बेटी सरला की पढ़ा- लिखकर उसकी अच्छे घर में शादी कराई ! बेटो के लिए घरबार बनाया ! उनकी भी शादीया करवाई !अब जीवन के इस मोड़ पे ६० साल की उम्र गजाधर बाबू बड़ी बेसब्री से अपनी रिटायरमेंट का इंतज़ार कर रहे थे और आज वह दिन आ ही गया l
उनकी बड़ी इच्छा थी की सभी को सेटल करने के बाद अपने जीवन का सेष समय वो अपने परिवार के साथ बिताना चाहते थे ! आखिर आज वह दिन आ ही गया है ! गजाधर बाबू की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था ! वह बड़े गदगद होके घर पे बिना जूतों को आवाज किए चुपके से घर में जलेबी का थैला लिए हुए प्रवेश करते है ! सभी लोग बड़े खुश होते है ! हॅसी – ठिटोली करते हुए रात बीत जाती है l
अब दिन हुआ गजाधर बाबू खटिया पे बैठे बहु से कहते है चाय – पानी का इंतज़ाम करो l
अब दोनों बहुओ में खुसरफुसर होने लगा की अब तो सारा दिन घर पे पड़े रहेंगे दिनभर चाय- पानी बना के दो बस ! बेमन से बहु जाती है और चाय की प्याली और नास्ता पकड़ा देती है ! ! रात का खाने का समय होता है बहु गुस्से में थाली पटक के खाना देती है ! गजाधर बाबू धीरे – धीरे अपनी बहु की बेरुखी समझने लगे l
बहू और बेटो तूतू मेमे होने लगी ! यह बात गजाधर बाबू को बहुत चुभने लगी l इस बात की सायद कोई नहीं बेटे तो मेरे बुढ़ापे का सहारा मेरे बेटे मेरे साथ है ना ! लेकिन वह ख़ुशी भी सायद गजाधर बाबू को नसीब नहीं हुई !थोड़े ही दिनों में बेटो ने भी अपना रंग दिखाना सुरु कर दिआ! उनकी पत्नी सुमति को हमेशा जोड़ो के दर्द की शिकायत रहती थी उन्होंने अपने बेटो से अस्पताल में दवा करने को कहा लेकिन बेटो ने नौकरी का बहाना करके समय नहीं है बाद में दिखायेंगे यह कहके टाल दिया l
दोनों बेटे बहार जाके कहने लगे कौन इनके पीछे खर्च करे ४ दिन की तो जिंदगी है ये लोग आज है कल नहीं हमारे बच्चो का भविष्य हमें ही देखना है l उन्होंने यह बात सुन ली इस बात ने उन्हें इतना आहात किआ वह अकेले रत के समाय एक कोने में जाकर रोने लगे ये वही बेटे है जिनके लिए भविष्य के लिए मेने अपनी सारी खुशियां दाव पे लगा दी ! दिन ब दिन परिस्थिति और बिगड़ती जा रही थी l
अब तो नौबत यह आ गयी की गजाधर बाबू और उनकी पत्नी को खाने तक के लिए मोहताज कर दिया ! गजाधर बाबू अपने ऊपर हुए दुर्व्यवहार को बर्दाश्त भी कर लेते परन्तु अपने पत्नी को छोटी -छोटी चीजों के लिए तरसते देख उनके मन को बहुत दुःख पंहुचा ! अब उनकी पत्नी ने बिस्तर पकड़ लिया था वह उठ चल नहीं पाती थी ! गजाधर बाबू को अब जीने की कोई इच्छा नहीं रह गयी थी परन्तु अपने पत्नी की ओर जैसे ही देखते है तो जीने की उम्मीद बना लेते है l
४/५ दिन बाद ही पत्नी का देहांत हो गया अब गजाधर बाबू बिलकुल अकेले ही पड गए l पत्नी के जाने के बाद घर के एक कोने में पड़े रहकर रोने के आलावा कुछ बचा नहीं था ! जीवन के इस मोड़ पे आकर उनकी सुख दुःख की साथी उनका साथ छोड़ के चली गयी ! पैसे के खर्च के डर से बेटे बहुओ ने बर्सी तक करने से मना कर दिया ! गजाधर बाबू एकदम टूट गए l वे बहुत ही सज्जन और ईमानदार व्यक्ति थे इसलिए उन्होंने उधार लेना मुनासिब नहीं समझा l
गजाधर बाबू गहन सोच और चिंता में डूब गए उनकी तबियत बिगडने लगी किसीने उनका इलाज नहीं कराया ! अब गजाधर बाबू अपने जीवन की अंतिम साँस ले रहे थे ! अंत में उन्होंने अपने बेटो से कहा भगवान ऐसे दिन किसी माँ बाप को ना दिखाए l ऐसे बेटो से अच्छा इंसान बेऔलाद ही सही है ! आज जैसे तुमने मेरे और अपनी माँ के साथ किआ है कल को तुम्हारे साथ भी हो सकता है l गजाधर बाबू तो ठहरे पिता ही उन्होंने कहा में कभी नहीं चाहूंगा जो मेरे साथ हुआ वो मेरे बेटो के साथ हो ऐसे कह के वह अपने प्राण त्याग देते है l
अब उनके बेटो को को अपने कर्मो पे बहुत दुःख हुआ वो कहते जब कोई चीज हमसे दूर जाती है तब ही उस चीज की कदर होती है l बेटो ने बड़ी सी तस्वीर बनायीं गजाधर बाबू की ! उनकी तस्वीर के आगे डेली हाथ जोड़कर उनकी दिन की शुरुआत होती थी ! पिता की बर्सी धूमधाम से मनाई गयी !
जब तक गजाधर बाबू उनके सामने थे तब तो किसी ने उनकी कदर नहीं की उनकी एहमियत को नहीं समझा अब सब करने का क्या फायदा ? अब वो कुछ भी कर ले उन्हें खुद पता है हमने बहुत गलत किया है वह चाहे कुछ भी कर ले उनका जीवन पस्चताप में ही बीतेगा l गजाधर बाबू ने जो इच्छा जताई थी अपने परिवार के साथ खुश रहने की वह उन्हें नसीब नहीं हुई ! इसलिए समय रहते ही बेटो को अपने जिम्मेदारी और माँ बाप की अहमियत समझने चाहिए ताकि आगे चलके आपको कोई पछतावा ना रह जाये l